Tuesday, October 29, 2024

Jyotipath

 ज्योतिपथ 

      - Divya 

दीप है वनवास में औ'
बाती बिरहन सी खड़ी
अँधियारे के द्वार पर
रोशनी रेहन पड़ी

दीप आए जब तलक
न यामिनी को मैं छलूँगा
मोल हो निज प्राण चाहे
दीप बन कर मैं जलूँगा

मैं जला तो संग मेरे
सूर्य को जलना पड़ेगा
मेरे पीछे ज्योतिपथ पर
विश्व को चलना पड़ेगा

व्यर्थ है दीपावली जो
एक लौ भी डगमगाए
व्यर्थ झिलमिल दीप की
गर हर नयन न जगमगाए

डबडबाते हर नयन
उल्लास बन कर मैं चलूँगा
दीपावली की रात का
आभास बन कर मैं चलूँगा

मैं चला तो संग मेरे
ज्योति को चलना पड़ेगा
मेरे पीछे ज्योतिपथ पर
विश्व को चलना पड़ेगा